किसी ने बेटी की शादी का सपना संजोया था...किसी
ने बूढी आंखों में उजाले की उम्मीद जगा रखी थी...लेकिन सबका पेट भरने वाला किसान
आज पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है...आसमान से बरसी आफत के बाद फसल की हालत किसी से
देखी ना गई तो दम तोड़ दिया..किसी ने इसलिए अपनी रुह फना कर ली...अब तो शब्द भी कम
पड़ जाते हैं बर्बादी की तस्वीरों को देखने के बाद...विधाता इतना बेरहम भी हो
जाएगा, ये किसने सोचा था...लेकिन बेमौसम बारिश की स्याह स्याही से कुदरत ने
किसानों की किस्मत में तबाही लिख दी...ऐसी तबाही जिसमें दर्द की लकीरें सीना चीर
जाती हैं...कलेजा आपका भी चीरकर रख देंगी बर्रबाद फसल की तस्वीरें, बशर्ते आपके
सीने में भी एक दिल होना चाहिए...बर्बादी के सैलाव में अब आंसुओं का सैलाव बाकी
है...
खेतों
में लहलहाती फसलों को देखकर कितना खुश था अन्नदाता...लेकिन बेरहम हो गया विधाता...कुछ
नहीं बचा...किसी का सपना टूटा किसी का अरमान...बेटी के ब्याह की चिंता, बेटे की
पढ़ाई का बोझ..परिवार पालने की चिंता...कर्ज उतारने को लेकर उदासी...कैसे होगा
सब...क्या बुंदेलखंड, क्या पूर्वांचल और क्या पश्चिमी उत्तर प्रदेश...एक ही
परदृश्य है यहां से वहां तक, सिर्फ और सिर्फ बर्बादी...अब किसी ने खुदकुशी कर ली
किसी से सहन नहीं हुआ सदमा...कई किसान काल कलवित हो चुके हैं अबतक...अधिकारियों के
कारनामें ऐसे कि, आते हैं और इति श्री कर के चले जाते हैं...
मार्च मातम लेकर आया अन्नदाता के लिए...सरकारें
मदद करें तो उम्मीदों को आसरा मिल जाए...शोर तो संसद में भी सुनाई दे रहा है...लेकिन
किसानों की फरियादें महफिल के किसी हिस्से तक नहीं पहुंच रहीं...अब दर्द की इस
दास्तां का किसे दोष दे किसान...खुशहाली वाले खेत अब खुदकुशी के सबब बनते जा रहे
हैं... पीएम मोदी मन की बात करते हैं...काश किसानों के मन का दर्द भी जान लेंते तो
अन्नदाता मौत को गले नहीं लगाते.....
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