लौट के राहुल घर को आए

वैसे सब तो यही कह रहे हैं कि, ये घर वापसी है..लेकिन में क्यों कहूं भाई...में तो कह रहा हूं कि, छुट्टी खत्म हो गईं और राहुल बाबा घर आ गए हैं...घर पर सब खुश हैं..पार्टी वाले लोग भैया के आने पर पटाखे फोड़ रहे हैं...उनकी मम्मी जी और बहन प्रियंका ने भी स्वागत सत्कार किया...सब करते हैं किसी का बेटा बहुत दिन बाद घर आया हो तो सब करते हैं...और राहुल बाबा तो वैसे भी पार्टी के लिए संजीवनी लेने गए थे...हालांकि जाने से पहले किसी ने कहा था कि, अध्यक्ष नही बना रहे है इसलिए नाराज होकर कहीं चले गए हैं...अब गए कहां थे लोकेशन को लेकर बड़ा बवाल हुआ.. किसी ने कहा उत्तराखंड किसी ने कहीं...अब जिते मुंह उतनी बात...वैसे भी कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना...कहने वाली बात भी थी...घर में काम-काज हो (शादी-व्याह या प्रोग्राम) तो घर का बड़ा लड़का थोड़े ना मौज मस्ती के लिए कहीं निकल जाता है...भाई संसद का बजट सत्र राहुल बाबा छुट्टी लेकर चले गए अब कैसे रोकोगे कहने वालों को...खैर वो आ गए हैं बैंकॉक गए थे अब तो खुश हो ना सब पता चल गया ना कहां गए थे....हम सबकी तो आदत है बेकार में बखेड़ा ख़ड़ा करने की...विपशयना नाम का कोई कोर्स करने गए थे...अरे अपने मोदी जी और केजरीवाल भी कर चुके हैं हां औऱ राहुल बाबा तो साथ में चिंतन-मंथन करने भी गए थे...

खैर अब आ गए हैं तो कांग्रेस के कुनवे में बहार आ गई है...सब खुशी हैं...हम मीडिया वालों को बी 2-3 दिन के लिए मसाला मिल गया है...ऐसे लोग हमारे मीडिया समाज के लिए बहुत उपयोगी हैं...क्योंकि अब उनके एक-एक कदम पर मीडिया के कैमरों की नजर है..
लेकिन, 2 महीने के अवकाश के बाद राहुल बाबा की घर वापसी हुई है...और उनके घर में घमासान मचा है...किस्सा वहीं कुर्सी का है...कुछ लोग उनके प्रमोशन कराने पर तुले हैं...कांग्रेस अध्यक्ष बनाना चाहते हैं उपाध्यक्ष से...लेकिन दिक्कत ये है कि, आधे इधर हैं और आधे उधर, बीच में कांग्रेस अद्यक्ष की कुर्सी...माकन और दिग्गी राजा का दिल राहुल की पदोन्नति में अटका पड़ा हैं...शीला दीक्षित, संदीप दीक्षित और कैप्टन साहब को कोई और गवारा नहीं सोनिया गांधी के सिवा...कुछ ऐसे हैं जो नजर जमाए हैं जिधर पलड़ा भारी होगा उधर जाकर जय-जयकार करने लगेंगे...
कुल मिलाकर बात ये है कि, 16 फरवरी से छुट्टी पर गए राहुल गांधी 16 अप्रैल को वापस आ गए हैं...लेकिन राहुल गांधी की वापसी के साथ ही वो सारे सवाल फिर शोर करने लगे हैं जो उनके जाने  से पहले थे..बड़ा सवाल नेतृत्व का है..सवाल ये भी है कि, क्या सियासी शून्य पर खड़ी कांग्रेस को संजीवनी दे पाएंगे राहुल...क्योंकि, पॉलिटिक्स पार्ट टाईम नहीं हैं गुरु...।
इति सिद्धम...


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