राणा की कलम: काश ! आज टिकैत होते...

राणा की कलम: काश ! आज टिकैत होते...: सिर्फ एक आवाज...और हजारों की भीड़ का हूजूम उस एक शख्स के साथ  हो लेता था...खांटी किसान उस इंसान ने, किसान की परेशानी को अपना धर्म समझा......

Comments