राणा की कलम: काश ! आज टिकैत होते... on August 13, 2015 Get link Facebook Twitter Pinterest Email Other Apps राणा की कलम: काश ! आज टिकैत होते...: सिर्फ एक आवाज...और हजारों की भीड़ का हूजूम उस एक शख्स के साथ हो लेता था...खांटी किसान उस इंसान ने, किसान की परेशानी को अपना धर्म समझा...... Comments
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