साहित्यकार, सम्मान और सरकार

बड़ी शिद्दत से चल रहा है सिलसिला पुरस्कारों को लौटाने का...एक के बाद एक साहित्यकार का मन बेमन हो रहा है इन पुरस्कारों से...कोई दादरी का दर्द बता रहा है दिल में... तो कोई लेखकों की हत्या से हलकान होकर, सरकार की अमानत... सरकार को लौटाने में लगा हैं....लिस्ट बढ़ती ही जा रही है लगातार...नयनतारा सहगल के बाद से अबतक कई लेखकों ने लौटा दिए हैं पुरस्कार...लेकिन पुरस्कार लौटाने के इन तौर तरीके पर, बड़े सवाल उठ रहे हैं बीजेपी वाले कह रहे हैं कि ये साहित्यकार मोदी से है नफरत करते हैं....कांग्रेस शासन काल के हैं...चाटुकारिता दिखा रहे हैं...इसलिए लौटा रहे हैं...नयनतारा सहगल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'चुप्पी' के विरोध में साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाया अंग्रेजी की प्रसिद्ध लेखिका हैं नयनतारा सहगल अंग्रेजी उपन्यास ‘रिच लाइक अस’ के लिए 1986 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित की गईं थीं सहगल..उनकी एक औऱ पहचान ये है कि, वो जवाहरलाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित की पुत्री हैं बाकी के नामों में हिंदी के जाने-माने कथाकार हैं उदय प्रकाश, प्रसिद्ध हिंदी कवि-आलोचक  अशोक वाजपेयी, 6 कन्नड लेखकों ने  राज्य साहित्य अकादमी द्वारा प्रदत्त पुरस्कारों को लौटाए...कन्नड़ लेखक अरविंद मालागट्टी ने  अकादमी की जनरल काउन्सिल से इस्तीफा दिया ..मंगलेश डबराल (हिंदी कवि), राजेश जोशी (हिंदी कवि)गणेश देवी, एन. शिवदास (कोंकणी लेखक)
वीरभद्रप्पा (कन्नड़ लेखक), गुरबचन सिंह भुल्लर अजमेर सिंह औलख, आत्मजीत सिंह, वरयाम सिंह संधू इन सबका विरोघ दादरी और कलबुर्गी है....इन सबके अलावा काशी के प्रसिद्ध लेखक काशी नाथ सिंह ने भी पुरस्कार लौटा दिया...और तो और कलम को अपनी ताकत बताने वाले मशहूर उर्दू शायर  मुनव्वर राणा ने तो एक टीवी कार्यक्रम के दौरान साहित्य सम्ममान और एक लाख रुपए का चैक वापस कर दिया....हालांकि, अब खबर ये भी है कि, मुनव्वर राणा को पीएमओ से फोन आया है...
कौन थे एमएम कलबुर्गी...
प्रसिद्ध कन्नड़ साहित्यकार थे एमएम कलबुर्गी...औऱ वो मूर्ति पूजा के खिलाफ लिखने के लिए जाने जाते थे कलबुर्गी...उनकी 30 अगस्त को कर्नाटक के धारवाड़ में हत्या कर दी गई थी..उनसे पहले नरेंद्र दाभोलकर और कम्युनिस्ट नेता गोविंद पनसारे की हत्या हुई थी.....
साहित्यकारों के सम्मान लौटाने पर क्या बोले राजनेता...
महेश शर्मा ने साहित्यकारों पर विवादित बयान दिया
रविशंकर प्रसाद ने कहा मोदी से नफरत करते हैं साहित्यकार
पहले क्यों नहीं लौटाए साहित्यकारों ने पुरस्कार
अरुण जेटली ने भी साहित्यकारों के सम्मान लौटाने पर उठाए सवाल
 जेटली ने पूछा, विरोध सचमुच का या गढ़ा हुआ ?
शशि थरुर ने भी पुरस्कार लौटाने वाले साहित्यकारों पर साधा निशाना
पुरस्कारों का असम्मान कर रहे हैं साहित्यकार: शशि थरुर

इस सबके बीच सवाल ये है कि, कब कौन विरोध करेगा..कब किसका विरोध होगा...ये भी सरकारें और सियासतदां तो तय नहीं करेंगे...समाज का ही एक दर्पँण होते हैं साहित्यकार...उन्हें लगता है कि माहोल में घुटन हो रही है...शब्दों को रोका जा रहा है...देश की दिशा गलत है....तब उनके दर्द को अनदेखा नहीं करना चाहिए..और सबसे बड़ी बात तो ये कि, लेखक कभी दरबारी नहीं होते....और अनमोल रत्न होते हैं...सरकार संभाल लीजिए इनको बिखरने से...सरकारों की चाटुकारिता से साहित्यकारों की कलम नहीं चलती...।
सुमित्रानंदन पंत ने कहा था कि,....'वियोगी होगा पहला कवि, आह से निकला होगा गान।

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