लोकतंत्र या लुभावना तंत्र...


लोकतंत्र या लुभावना तंत्र... दरअसल, ये सवाल इसलिए है क्योंकि, वैसे तो लोगों के सामने तमाम बुनियादी समस्याएं हैं...लेकिन उन समस्याओं से नजर चुराकर सभी दल तोहफे बांटने में लगे हैं...सबकी अपनी अपनी स्कीम है तो वोटरों के सामने भी विकल्प हैं...लेकिन ये जो खैरात बांटने का चलन है क्या वो ठीक है...उत्तर प्रदेश में चुनाव से पहले तमाम राजनीतिक दलों ने दावों की दुकान सजानी शुरू कर दी है...अखिलेश यादव जहां स्मार्ट मोबाइल का वादा कर रहे हैं...वहीं मायावती और राहुल गांधी के भी अपने-अपने वादे हैं....हालांकि, बीजेपी के पिटारे में क्या है ये अभी तक पता नहीं चल पाया है....लेकिन क्या वोट के बदले तोहफे आवाम की तरक्की कर पाएंगे...? यूपी के चुनावी मैदान में सियासी मेले लगे हैं...और इन मेलों में तमाम राजनीतिक दलों के लुभावने ठेले भी लगे हैं...जहां से बांटी जा रही है वादों की भरपूर खुराक...बात करें समाजवादी पार्टी कि, तो अपने 2012 के चुनावी वादे के मुताबिक लैपटॉप की सौगात दे चुके अखिलेश यादव... अब 2017 में लोगों को लुभाने के लिए स्मार्टफोन का सहारा ले रहे हैं...मुख्यमंत्री के मुताबिक सरकार बनने पर लोगों को मुफ्त में मोबाइल दिए जाएंगे...वो भी स्मार्ट...इससे पहले मोदी जी भी स्मार्ट सिटी का नारा दे चुके हैं...। खुशी मनाने की बारी अब आवाम की है...क्योंकि, दूसरे दलों के सियासी मैन्यू में भी सौगातों की कमी नहीं है...जब अखिलेश यादव स्मार्ट फोन बांटने का वादा कर रहे हैं, तो भला हाथी वाली बहन जी कैसे पीछे रह जातीं...मौके की नजाकत पर नजराना देते हुए, सहारनपुर की रैली में बहन जी कह दिया कि, हम जरुरतमंदों को नकदी देंगे...यही तो है लोकतंत्र का वो पहिया जो चल रहा कई दशकों से...वैसे सत्ता संघर्ष की इस सियासत में बड़े-बड़े चाणक्य हैं...वहीं खाट वाली चर्चा के देवरिया टू दिल्ली वाली किसान यात्रा लेकर कांग्रेस के राहुल बाबा का भी वादा है...कर्ज माफ और बिजली हाफ...इसी नारे पर रंग रोगन लगाकर राहुल यूपी में रथ लेकर घूम रहे हैं...यानि, सियासी दलों के मंच मुरादों की मजार बन रहे हैं...हर किसी की मुराद पूरा करने का शर्तिया ताबीज बांटा जा रहा है...तमाम पार्टियो के पिटारे तो खुल गए...लेकिन बीजेपी क्या बांटेगी ये अभी अनसुलझा सवाल है...। बहरहाल, अपनी सुविधा से चुनिए, गुनिए या फिर सिर धुनिए...क्योंकि, रोटी कपड़ा और मकान जैसे मुद्दों पर लड़े जाने वाले चुनाव अब इतने हाईटेक हो गए हैं...कि, अब सियासी पार्टियों के चुनावी वादों में लैपटॉप और मोबाइल और नकदी जैसे वादे वोटरों से किए जा रहे हैं...सपा, बसपा और कांग्रेस पोटरी में तो सबकुछ उपलब्ध है...आखिर घोषणाओं के इस घमासान में बीजेपी क्या बांटेगी...लेकिन एक सवाल सभी दलों से है कि, क्या अब तोहफे और खैरातें हमारे वोट तय करेंगी...?

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