मंदिर और मजार पर राहुल का कारवां ।


कर्जा मांफ और बिजली हाफ...इस अटूट वाक्य के साथ कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी उत्तर प्रदेश के किसानों की नब्ज टोटलने निकले...लेकिन इस किसान यात्रा में जो पड़ाव बने वो बने तमाम पूजा स्थल...हालांकि, पूजा स्थल पर जाना बड़ी बात नहीं हैं..बड़ी बात है उसका कारण...तो क्या इस यात्रा के जरिए कोई और कोशिश की जा रही है..दरअसल, राहुल गांधी ने किसान यात्रा के नाम पर जो रथ सजाया... वो अब धार्मिक रंग में रंगा नजर आ रहा है...और इस बदले हुए रंग पर राजनीतिक गलियों में हलचल भी देखी जा रही है.. यूं तो गाहे-बगाहे प्रसिद्ध पूजा स्थलों पर सियासतदाओं का जाना कोई चौंकाने वाली खबर नहीं होती...गांधी परिवार का भी पूजा स्थलों पर आना-जाना रहा है...लेकिन इस दफा जब राहुल गांधी यूपी में अपनी किसान यात्रा के दौरान...शहर दर शहर हर नामचीन मंदिर-मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च में हाजिर लगा रहे हैं...तब चौंकना लाजिमी है...इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी तक...राजीव गांधी से लेकर सोनिया गांधी तक जितनी धार्मिक यात्राएं एक दशक में करते होंगे...उतनी तो इस दफा राहुल बाबा ने महज बीस दिनों में ही कर डाली हैं...2500 किलोमीटर की इस यात्रा का नामकरण किसान यात्रा किया गया था...जिसमें कहा गया था कि, राहुल गांधी किसानों के हक की बात करेंगे..कर्ज माफी की आवाज बुलंद करेंगे...लेकिन पहले ही दिन ‘देवरिया से दिल्ली’ नाम की इस किसान यात्रा का आगाज भी धार्मिक अंदाज में हुआ था...और पहले पड़ाव की यात्रा का समापन भी राहुल बाबा ने धार्मिक अंदाज में किया...देवरिया से लखनऊ पहुंचने तक हर देवस्थान और दरगाह पर कांग्रेस के युवराज की यात्रा भक्ति के भंवर में तैरती दिखी...अयोध्या का हनुमानगढ़ी मंदिर हो या राजधानी लखनऊ का कैथेड्रल चर्च...किछौछा शरीफ का मजार हो या नदवा कॉलिज का मदरसा.. संत रैदास मंदिर हो या यहियागंज का गुरुद्वारा....अपनी किसान यात्रा में राहुल गांधी किसान और भगवान दोनों के साधते दिखे...कहने वाले कह रहे हैं कि, जगह-जगह जाकर श्रद्धा जताना ये वोटों की जजकरी के सिवा कुछ नहीं हैं...तमाम राजनीतिक दलों के लोग अपने- अपने हिसाब से राहुल गांधी की यात्रा की व्याख्या कर रहे हैं..हालांकि, अब जब इस बार चुनावी राज्य में कांग्रेस के युवराज की इतना ताबड़तोड़ धार्मिक यात्राएं होंगी तो सियायी रंगमंच पर सवालों का तैरना लाजिमी ही है...एक बड़ा सवाल ये भी उठ रहा है कि, राहुल जी किसान यात्रा कहीं मंदिर-मस्जिद पर मत्था टेकने के लिए मौका उपल्ब्ध कराने के लिए तो नहीं है...और क्या किसान और भगवान दोनों को साधने की जुगत में हैं राहुल गांधी...।

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