सियासत का अखाड़ा ‘बिसाहड़ा’


बीते साल की ही तो बात है...जब यही बिसाहड़ा गांव...राजनीति की बिसात बना था...अखलाक की हत्या के बाद तमाम राजनीतिक दलों ने खूब रोटियां सेंकी थी...वही बिसाहड़ा एक बार फिर अखाड़ा बनने की ओर हैं...पीड़ित परिवार से संवेदना के बहाने सियासत का सामान इकट्ठा होने लगा है...दरअसल, न्यायिक अभिरक्षा में हुई रवि की मौत के बाद...बिसाहड़ा में तनाव और गुस्से का माहौल है...परिवार रवि की मौत के लिए जेल प्रशासन के दोषी ठहरा रहा है...और कार्रवाई के साथ उचित मुआवजे की मांग कर रहा है....वहीं इस मौके पर राजनेताओं ने भी तान लेनी शुरू कर दी है…आज बिसाहड़ा की गलियों में गम और गुस्सा...यूं ही तो नही बरपा है...यूं समझ लीजिए कि, बिसाहड़ा की तकदीर में बार फिर तनाव की तस्वीरें हैं...बीते साल अखलाक हत्याकांड के कारण सुर्खियों में आया ये गांव, अब रवि की मौत का मातम मना रहा है...रवि अखलाक की हत्या के आरोप में जेल में बंद था...दरअसल, अखलाक की हत्या के आरोप में जेल में बंद रवि की 4 अक्टूबर को मौत हो गई...जेल प्रशासन से लेकर अस्पताल प्रशासन तक रवि की मौत को गुर्दा फेल और चिकनगुनिया बता रहा है...वहीं परिवार का आरोप है कि, जेल प्रशासन की पिटाई से रवि के प्राण पखेरू हुए हैं...यही वजह है कि, गम और गुस्से में सुलग रहा है बिसाहड़ा...इधर सियासत ने भी अपना काम शुरू कर दिया है...हिंदूवादी नेता साध्वी प्राची ने सबसे पहले आसन जमाया...और दो समुदायों में मट्ठा डालने वाला वहीं राग अलापा...यानि जैसे अखलाक की मौत को सियासत का अफसाना बनाया गया था...वैसे ही, रवि के मामले में सियासी शामियाने सजने शुरू हो गए हैं...साध्वी पहुंची...भगवा ब्रिगेड वाले संगीत सोम पहुंचे, अखलाक हत्याकांड को महज हादसा बताने वाले केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा पहुंचे...अजब सियासत के गजब शब्द ये सुनिए कि, बीजेपी नेता लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने प्रदेश सरकार को घेरते हुए कहा कि, अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे...अब सरकार को पता चलेगा...एक घर का चिराग चला गया और राजनीति के अंधेरे आंगन में दीपक जल रहा है...कुल मिलाकर संगीनों के साये में सहमा है बिसाहड़ा...चप्पे चप्पे पर खाकी खड़ी है...चुनावी काल में बिसाहड़ा की फिजा का यूं बदल जाना...सियासी सूरमाओं के लिए किसी मौके से कम नहीं होगा...यानि, बिसाहड़ा एक बार फिर सियासत का अखाड़ा बन सकता है...लेकिन एक सवाल है जो समझना जरुरी है...चिंगारी का खेल बुरा होता है...इसलिए सियासत के लिए संयम और सौहार्द का गला ना घोंटा जाए...। ...........................................................................

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