ननकू कंगाल, नेता मालामाल

कहते हैं कि, उपर वाला जब भी देता है, तो छप्पर फाड़ के देता है...लेकिन गरीब की तो जिंदगी गुजर जाती है छप्पर में रहते-रहते, दौलत से उसका छप्पर कभी नहीं फटता...हां गरीबी और गुरबत में कपड़े जरुर फट जाते हैं...क्योंकि, दाल-रोटी के जुगाड़ में दिन रात काटने वाला अदना सा आम आदमी, कौड़ी से करोड़ों बनाने की कला नहीं जानता...अब ये नियती का खेल है या नेताओं और नौकरशाही के खेल की नीति...ना जाने क्यों पैसों का पेड़ इनके ही आंगन में उगता है...यकीन नहीं आता तो एडीआर यानि, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की इस रिपोर्ट को देखिए, जिसमें नेताओं की संपत्ति में दिन दूनी रात चौगुनी ऐसी तरक्की हुई...कि, तिजोरी में 500 से लेकर 2100 गुना तक दौलत बढ़ गई...दरअसल, देश की सबसे बड़ी अदालत में एडीआर ने ऐसे चार उदाहरण पेश किए हैं...जिनकी दौलत में 1200 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई...22 ऐसे लोग बताए जिनकी संपत्ति में 500 फीसदी का इजाफा हुआ...केरल के एक नेता की दौलत में 1700 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई...एक सांसद के यहां तो मानो खुद विराजमान हो गए जैसे धन के राजा कुबेर...सांसद जी की संपत्ति 2100 फीसदी तक बढ़ गई...। इनकी धन और संपत्ति देखकर तो कुबेर भी सोच में पड़ गए होंगे...कि, धन का राजा कौन है...नेता या मैं?...एडीआर कि, ये दूसरी रिपोर्ट आपको सोचने पर मजबूर कर देगी कि, इन माननीयों के पास इतना माल आया कहां से...क्योंकि, पारदर्शिता का पाठ पढाने वाले ये सियासी दल, अपनी अकूत दौलत की आय का जरिया बताने में आना-कानी कर रहे हैं...। दूसरी रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2016 में बीजेपी की 81 प्रतिशत और कांग्रेस की 71 प्रतिशत आय का स्रोत पता नहीं है... 2015-16 में बीजेपी मिले करीब 461 करोड़ रुपये का कोई बही-खाता नहीं है, तो वहीं कांग्रेस को करीब 186 करोड़ रुपये गुमनाम गलियों से मिले हैं...केंद्र सरकार के कारिदों में भी कुल 11 लोगों ने इस साल अपनी संपत्ति का ब्यौरा दिया है...। बहरहाल, यही तो दंश है अपने देश का...गरीब के लिए लड़ते-लड़ते, नेता जी अमीर हो जाते हैं, और गरीब और भी गरीब...इसी मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कान ऐंठे हैं...सवाल ये है कि, आखिर क्यों ननकू हैकंगाल, कैसे नेता हो रहे मालामाल...?

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