आखिर क्या मायने हैं शिक्षक दिवस के ?

शिक्षक दिवस यानि अध्यापकों का दिन...गुरुजनों का दिन...लिहाजा पूरे देश की परिधि में सम्मान के शब्दों की माला शिक्षकों के गले डाली जाती है...सम्मान समारोह किए जाते हैं...लेकिन क्या इन रस्म अदायगी से हम इनका कर्ज अदा कर पाते हैं...क्या किसी ने भविष्य के इन निर्माताओं के भूतकाल और वर्तमान को कुरेद कर देखा है...नहीं देखा...ना सरकारों ने ना सिस्टम ने...उनकी पीड़ा के हर पन्ने को पलटोगे तो सब प्रदर्शित होगा जो किसी ने नहीं पढ़ा...। देश के 70 फीसदी सरकारी स्कूलों में से ज्यादातर दूर-सूदूरग्रामीण इलाकों में हैं...जाड़े-गर्मी और बरसात में ये शिक्षक उन पंगडंडियों पर पढ़ाने जाने जाते हैं, जो 150-200 किलोमीटर तक के दायरे में आते हैं...अब स्कूल पहुंचने का बाद पहला काम होना चाहिए पढ़ाई का...लेकिन मिलों दूर पढाने जाएं, मिड-डे मील पकवाएं, और बच्चों को खिलवाएं...सबक के बजे स्वाद चखाएं...हर किसी की जरुरत होती हैं बुनियादी सुविधाएं..लेकिन सरकारी स्कूलों शून्य है ये सब...बिजली-पानी और शौचालय जैसी सुविधाएं भी अधिकतर सरकारी स्कूलों में नहीं है....इतना ही नहीं इनके कंधों पर है शिक्षा की जिम्मेदारी...लेकिन वो करते हैं सरकार की बेगारी...यूं कहिए कि, सारे काम करते हैं सूबे के शिक्षक, पढ़ाने के साथ-साथ...जनगणना, आर्थिक गणना और बाल गणना...मतगणना इनके अलावा पोलियो की दवा पिलाने का काम, राशन कार्ड के सत्यापन का काम, वोटर आईडी और चुनाव ड्यूटी का भी काम, बीएलओ का काम, बोर्ड एग्जाम में ड्यूटी गैरहाजिर हुए गई नौकरी, हाल ये है कि, शिक्षक एक और काम अनेक...इस पर भी तुर्रा ये कि, काम ही क्या करते हैं सरकारी शिक्षक...ये हाल तो तब जब 2015 में हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि, शिक्षकों से केवल जनगणना, निर्वाचन और आपदा के समय ही अतिरिक्त काम लिया जा सकता...। बहरहाल, उनका काम है पढ़ाना...देश के भविष्य को संवारना...लेकिन खुद का भूतकाल से लेकर वर्तमान और भविष्य सब भवंर में हैं...नाम शिक्षक लेकिन काम, मजदूरों की तरह...और सुविधाओं के नाम पर केवल संघर्ष ही संघर्ष...तो क्या केवल एक दिन शिक्षकों का सम्मान कर देने से सार्थक हो जायेगा शिक्षक दिवस....व्यवस्था की इस बिसात पर चौपट है वर्तमान...और भवर में है भविष्य...ढेर सारे नारों के बीच साढ़े बाइस ही है पढ़ाई...मौजूदा हालात में तो ये सवाल ही मौजू है कि, जब इनका दर्द ही कोई समझने वाला नहीं, तो फिर क्यों और कैसे मनाएं शिक्षक दिवस...गुरुजनों की इस गुरबत में आखिर क्या मायने हैं शिक्षक दिवस के...।

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